कर्तव्यों के साथ की जाए अधिकारों की बात : राज्यपाल श्री टंडन

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज संविधान दिवस पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा है कि संविधान सबका संरक्षक है। इसलिए कर्तव्यों के साथ अधिकारों की बात होना चाहिये।मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने इस मौके पर कहा है कि प्रजातंत्र का सम्मान बनाए रखने में विधायिका और कार्यपालिका से अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी न्यायपालिका की है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस श्री अजय कुमार मित्तल ने नागरिकों का आव्हान किया कि राष्ट्र-निर्माण के लिए मूल अधिकारों के यथावत पालन के द्वारा सामाजिक और वैचारिक परिवर्तन की पहल करें। 


संविधान के सूक्ष्म अध्ययन के प्रति जन-चेतना के प्रसार की आवश्यकता


राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि संविधान में समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को प्राथमिकता दी गई है। न्याय प्रक्रिया में कमजोर व्यक्ति को त्वरित न्याय प्राप्त हो, इस दिशा में और अधिक संवेदनशीलता के साथ प्रयास किये जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों पर भी विचार किया जाना जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीकों में भाषा का भी प्रमुख स्थान है। न्यायालय के निर्णयों की प्रतिलिपि हिन्दी में उपलब्ध कराने पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न सेवाओं में आपसी सामंजस्य और समन्वय के अनौपचारिक कार्यक्रमों की पहल की जानी चाहिये। इससे सम-सामयिक सामाजिक समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा।